दोस्ती या......

दोस्ती या....

" आज संडे को कहाँ जा रही हो?" शिवी को अलमारी से कपडे निकालते देख प्रतीति ने पूछा. 

हताशा और गुस्से में सर हिलाते हुए शिवी ने जवाब दिया, " क्या मॉम, सन्डे तो एक दिन होता है मजे से               घूमने का।"
                  
वही एक संडे हमारे लिए भी तो होता है न बेटा की हम अपने बच्चे से दो बातें करें, उसके साथ लंच करें..... प्रतीति यही कहना चाहती थी, लेकिन शिवी का तड़ाकेदार जवाब और उपेक्षा भरा चेहरा देख कर उसने कहा, "हाँ, तो कुछ कैंपस के लिए तैयारी ही कर लो। ढंग की जॉब मिल जाएगी। पुरे दिन अपने फालतू दोस्तों के साथ बिताने से वो तैयारी तो होने से रही।"

शिवी तमककर बोली, " मॉम, मेरे दोस्त फालतू नहीं हैं और मुझे पता है कैसी तैयारी करनी है।" 
पंद्रह मिनट बाद शिवी अपनी स्कूटी उठा कर जा चुकी थी और दरवाज़े पर प्रतीति " कहाँ जा रही है, कब तक आएगी" के अपने सवाल लिए खड़ी रह गई।

भुनभुनाती निकली शिवी आधे घंटे बाद अपने दोस्तों के साथ खिलखिला रही थी। पुरे दिन दोस्तों के साथ हंसी- ठट्ठा करते, बाजार में घूमती रही। इस बीच तीन चार बार माँ का फ़ोन शिवी काट चुकी थी। रात होते होते यश ने सुझाया, "चलो आज बाइक रेसिंग करेंगे, नए शहर के बाहर एक बिल्डिंग बन रही है, वहां रात को बहुत कम ट्रैफिक होता है, वहां से शुरू करेंगे।"

सारे दोस्तों ने येsssss की टेर लगा दी। शिवी सोच में थी. " मॉम को बताऊँ? वो फिर टोकेंगी। बाइक रेस में हर बाइक पर एक कपल.....कितना रोमांचक होगा?"

अब एक तरफ लगातार माँ का फ़ोन आ रहा था और दूसरी तरफ दोस्त अपनी अपनी बाइक की तरफ बढ़ रहे थे......

अपना फ़ोन स्विच ऑफ करके शिवि तेज़ी से यश की तरफ बढ़ी और बाइक पर सवार हो गयी.... थोड़ी ही देर में वो शहर के बाहर पहुँच गए।
"ओके, गाइस आर यू रेडी फॉर दी फन... देखें रेस कौन जीतता है" यश जोश में बोला।
१..२..३ कहते ही दसों बाइक्स फर्राटे भरने लगी।
यश की बाइक सबसे पीछे थी, वो जानबूझ कर धीमे चला रहा था।

" क्या बात यश तुमको रेस नहीं जीतनी" शिवी बोली।

"डोंट वोर्री, मुझे एक शार्ट कट पता है" यश हँसते हुए बोला, अचानक बाइक संकरी सी सड़क पर घूम गई।
इससे पहले की शिवी कुछ समझ पाती बाइक एक खंडहर के पास जाकर रुक गयी, शिवी को यश का इरादा समझते देर ना लगी.....।
वो तेज़ी से बाइक से कूद कर सामने के घने जंगल में बेतहाशा भागने लगी.... अचानक एक पत्थर से टकरा कर शिवी गिर पड़ी और उसने अपने होश खो दिए.... होश जाते जाते उसके कानों में कुछ मद्धम मद्धम आवाजें आ रही थी.......।
जब आँख खुली तो शिवी ने खुद को हॉस्पिटल में पाया। मां और बाबूजी दोनो एक टक लगा कर उसी की ओर देख रहे थे। माँ ने जल्दी से उसे गले लगाया और बोली "ईश्वर का लाख लाख शुक्र है तू सही सलामत है....." शिवी भावातीरेक बहुत समय तक मां के सीने से चिपटी रही, उसकी आंखों से गंगा जमुना अविरल बह रही थी....।
आज शिवी पश्चाताप और ग्लानि की वजह से माँ से आंख नहीं मिला पा रही थी, हिचकियों के बीच में ही उसने मां के कंधे से लगे लगे बोला, "मुझे माफ कर दो मां, मैं आपके प्यार को समझ ना सकी.... और जिस दोस्त पर मुझे इतना भरोसा था.... देखो ना वो मेरे साथ...." इतना कहते कहते वो फिर से फफक फफक कर रोने लगी।
मां ने एक बार फिर कस कर उसे अपने सीने से लगा लिया।

(समाप्त)     

आभार – नवीन पहल – २५.०४.२०२३ 😊😊
# प्रतियोगिता हेतु








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5 Comments

KALPANA SINHA

03-Jul-2023 01:42 PM

good story

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अदिति झा

27-Apr-2023 03:01 PM

Nice ☺️

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Gunjan Kamal

26-Apr-2023 07:03 AM

आज के परिवेश को दर्शाती कहानी! सुंदर प्रस्तुति👏👌🙏🏻

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